चेचक का घरेलु इलाज, लक्षण, कारण | Chicken Pox treatment in Hindi

बरसात का मौसम शुरू होते ही कई बीमारिया दस्तक देने लगाती है उनमे से कई एयरबोर्न बीमारियाँ हैं जो वर्ष के इस समय से लेकर शारद ऋतु की शुरुआत तक सक्रिय होती हैं- चिकन पॉक्स (चेचक (बड़ी माता)) उनमे से एक है जो दुनिया में सबसे खतरनाक संक्रामक बीमारियों में से एक है। जिसे आमतौर की भाषा में चेचक (बड़ी माता) भी कहा जाता है . एक बहुत ही तीव्रता के साथ वायरस सेउत्पन्न होनेवाला संक्रामक रोग है। चिकन पॉक्स एक संक्रामक रोग है या ये कहें की यह एक वायरल संक्रमण है जो हर्पीस वेरीसेला-ज़ोस्टर वायरस (Herpes vericella- zoster virus)के कारण होता है। चिकन पॉक्स(Chicken Pox in Hindi) छूने, खाँसने और छींकने से फ़ैलता है। यह संक्रामक बीमारी 15 साल या उससे कम आयु वाले बच्चों को अधिक प्रभावित करती है। इस लेख के माध्यम से चिकन पॉक्स के लक्षणों, कारणों और इलाज (Chicken Pox treatment in Hindi) के बारे में और जानकारी लेते हैं।

चेचक क्या है? (What is Chickenpox?)

चिकन पॉक्स (Chicken Pox in Hindi) मुख्यतः वैरिसेला नामक वायरस से फैलता है, और सामान्यतः बच्चों को व्यस्कों की तुलना में अधिक प्रभावित करता है। चिकन पॉक्स को छोटी माता या चेचक के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर चिकन पॉक्स दिसम्बर माह से फरवरी माह तक (December to spring) सबसे ज्यादा फैलता है और कई बार यह संक्रमण सालभर रहता है। चिकन पॉक्स के मुख्य लक्षणों (Symptoms of Chicken Pox in Hindi) में मुख्यतः छोटे छोटे, द्रव से भरे फफोले के साथ खुजली होना सम्मलित हैं ।
चिकन पॉक्स को आयुर्वेद में लघु मसूरिका के नाम से भी जाना जाता है क्यूंकि इसमें मसूर के दाल के साइज़ के छोटे छोटे दाने मरीज के शरीर पर हो जाते हैं। यद्धपि यह एक खतरनाक बीमारी है परन्तु अगर सही समय पर इसके लक्षणों की पहचान करके इसका सही इलाज (Chicken Pox Treatment in Hindi) करा लिया जाये तो यह आसानी से ठीक हो जाती है और जान का खतरा नहीं रहता।

यह रोग किसी भी व्यक्ति के शरीर में पहुंचकर दो तरह से बीमार करता है –

(1) ड्रोप्लेट्स के द्वारा

(2) कुछ हद तक संक्रमित वस्तुयों के प्रयोग करने से भी यह रोग फैलता है

यदि पहले के समय की बात करें तो यह बीमारी लगभग पूरे विश्व में पाई जाती थी लेकिन अब इस रोग का पूरे विश्व से खात्मा हो गया है। चेचक को जड़ सेखत्म करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) का 1967 में चेचक उन्मूलन अभियान चलाया था जो पूरी तरह सक्सेस रहा और इस रोग को लगभग समाप्त कर दिया गया।

चेचक के लक्षण:

इसके लक्षणों में दो तरह के चरण पाए जाते हैं जो लगभग दो से तीन दिन के पाए जाते हैं।

1. एकदम से ठण्ड लेकर बुखार उत्पन्न हो जाता है इसके साथ ही बैचैनी, सिरदर्द जैसी समस्याएँ दिखाई देतीं हैं और यह स्थिति दो से तीन तक चलती

2. लगभग तीन से चार दिन के बाद फीवर कम हो जाता है और पूरेशरीर पर दाने निकलना स्टार्ट हो जातेहैं। पहले इन दानों में पानी जैसा तरल भर जाता है और लगभग दसवें दिन इन फफोलों का पानी पस का रूप ले लेता है। आगे के समय में इन पर पपड़ी जम जाती है और तीसरे हफ्ते में पपड़ी शरीर से अलग होना शुरू हो जाती है। लेकिन जब पपड़ी निकल जाती है तो उन जगह पर चेचक के दाग हो जाते हैं जो गड्ढे के समान प्रतीत होते हैं।

चिकन पॉक्स के सामान्य लक्षण- Symptoms of Chicken pox in Hindi इस प्रकार हैं-

  • बुखार (Fever in Hindi)
  • दाने के साथ चक्कर आना
  • तेज़ दिल की धड़कन
  • सांस की तकलीफ
  • झटके/दौरे पड़ना
  • मांसपेशियों के समन्वय की कमी
  • थकान/कमजोरी (fatigue meaning in hindi)
  • खाँसी बढ़ना
  • उल्टी- Vomiting
  • गर्दन में कठोरता महसूस करना इत्यादि

अब में आपको इस रोग के बारे में एक विशेष और हमेशा याद रखने योग्य बात बताता हूँ कि यदि किसी को चेचक (smallpox) हो जाता है और वह समय पर उपचार नहीं करवाता है तो उसे सिरदर्द, अस्थि मज्जा एवं अंधापन जैसी विकराल परिस्थितियों से गुजरना पड़ सकता है। इसलिए हम अपने पाठकों को यही सलाह देंगे कि वैसे तो यह रोग अब बहुत ही कम लोगों में होता है फिर भी यदि किसी को ये रोग हो जाये तो इसका समुचित इलाज करवाना अतिआवश्यक है, नहीं तो रोगी अंधा भी हो सकता है।

छोटी चेचक और बड़ी चेचक (छोटी माता और बड़ी माता) में अन्तर (Difference between Chicken pox and Smallpox in Hindi)

दोनों चेचक में ही दाने निकलते हैं। इनमें मुख्य अंतर यह होता है कि बड़ी माता में दाने बड़े होते हैं, और छोटी माता के दाने छोटे होते हैं। इसलिए जब भी आप चेचक का घरेलू उपचार करें तो बीमारी की पहचान पहले पता कर लें।

  • बड़ी चेचक के दानों में पीव या मवाद या पस भर जाता है। ये बीच में से फट जाते हैं, और फिर सूख जाते हैं। इनमें से पपड़ी सी उतर जाती है।
  • छोटी माता के दाने छोटे होते हैं। यह बीच में से फटते नहीं बल्कि सीधे सूख जाते हैं। इनमें से पपड़ी भी नहीं उतरती। प्रायः यह बीमारी बच्चों को छोटी उम्र में ही होती है। 

चेचक के रोगी के लिए सावधानियाँ:

  • जिस रोगी को स्माल पॉक्स हो उसे अन्य लोगों से अलग रखना चाहिए।
  • ऐसे रोगी को तब तक विस्तर पर आराम करना चाहिए जब तक कि चेचक की पपड़ियाँ सूखकर गिर न जाएँ मतलब दाग पूरी तरह सूख जाना चाहिए।
  • ऐसे मरीज को अन्य प्रकार के संक्रमण से बचाकर रखना चाहिए अन्यथा परिस्थिति विकराल हो सकती है।

चेचक का टीका:

यह रोग पूरे देश में पाँच छः साल के अन्दर महामारी के रूप में फैलता था। इसलिए चेचक के टीके अनिवार्यरूप से लगवाना चाहिए। जब से इसके टीके सामूहिक रूप से लगना प्रारंभ हुए हैं तब से लेकर अभी तक लगभग पूरे विश्व में इसके रोगियों की संख्या ना के बराबर रह गयी है।

चेचक (चिकन पॉक्स) का घरेलू उपचार:

  • रुद्राक्ष को पानी में घिसकर रोगी के घावों पर लगाने सेचे चक के घाव ठीक हो जातेहैं। एक बड़ा चम्मच करेले के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर रोगी को दिन में दो से तीन बार चटाने से अतिशीघ्र लाभ मिलता
  • हरे करेलेको  काटकर छोटे छोटे टुकड़े करके पानी में उबाल लीजिये और किसी काँच की शीशी में रख लीजिये। अब उस पानी को दिन मेंतीन बार शुबह दोपहर और शाम पिलाइए इससे बड़ी माता या चेचक रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
  • करेले के पत्तों का रस में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पीने से चेचक में जल्दी आराम मिल जाता है।
  • गाजर और धनिया पत्ती दोनों चीजें ठंडी होती हैं। इनका मिश्रण एक अच्छा एंटी-ओक्सिडेंट होता हैं। एक कप गाजर के टुकड़े, और डेढ़ (1.5) कप धनिया के पत्ते कटे हुए ढाई (2.5) कप पानी में उबाल लें। आधा रह जाने पर उसे पिएं। यह प्रयोग एक माह तक दिन में एक बार करें।
  • नीम के पत्ते को पानी के साथ पीसकर प्रभावित भाग पर लगाएं। नीम के पत्तों को पानी में उबालें, और इस पानी को नहाने में प्रयोग करें। इससे चेचक के फैलने की संभावना कम होती है, और दर्द में कमी आती है।
  • बेकिंग सोडा में जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो घाव को भरकर संक्रमण को दूर करने में मदद करता है। आधा चम्मच बेकिंग सोडा पानी में मिला लें। किसी साफ कपड़े को इसमें भिगोकर प्रभावित भाग पर लगाएं, और सूखने दें। 

चिकन पॉक्स (चेचक) में परहेज:

बहुत से रोगों में बिना परहेज किये जल्दी आराम नहीं मिलता है जिनमें से smallpox भी एक है, मतलब परहेज करना बहुत जरुरी होता है।

इसलिए चिकन पॉक्स में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए इसकी पूरी जानकारी होना हर एक रोगी के लिए जरुरी है –

  • ऐसे रोगी को दूध, मक्खन, पनीर इत्यादि मतलब दूध से बनने वाली चीजों का सेवन करना पूर्णतः प्रतिबंधित है, इसलिए इस तरह के खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए
  • वसायुक्त खाद्य पदार्थ जैसे माँस, चोकलेट एवं सूखेनारियल आदि का सेवन करना वर्जित होता है। किशमिश, मूंगफली इत्यादि का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
  • तेल युक्त एवं मिर्चमशालेदार भोजन नहीं करना चाहिए।
  • किसी भी तरह का फास्ट फूड का सेवन करना परेशानी का कारण बनता हैखासकर बड़ी माता के रोगी के लिए, इसलिए इस तरह के फूड का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
  • ऐसे मरीज को खानेके रूप मेंदलिया, खिचड़ी इत्यादि का सेवन करना ज्यादा फायदेमंद रहता

चिकन पॉक्स में क्या परहेज करना चाहिए?

ऐसे रोगी को दूध, मक्खन, पनीर इत्यादि मतलब दूध से बनने वाली चीजों का सेवन करना पूर्णतः प्रतिबंधित है, इसलिए इस तरह के खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए

क्या चेचक (बड़ी माता) में नहाना चाहिए?

चेचक (बड़ी माता) होने पर शुरुआती 7 दिनों तक फोड़ों के फूटने और इंफेक्शन फैलने का खतरा अधिक होता है इसीलिए, पहले 5 या 7 दिनों तक न नहाने की सलाह दी जाती है।

चेचक (बड़ी माता) का टीका कब लगता है?

चेचक (बड़ी माता) वैक्सीन का नाम वैरिकाला वैक्सीन है जो दो खुराक का एक कोर्स है। एक बच्चे के मामले में, क्या चेचक (बड़ी माता) वैक्सीन की उम्र 12-18 महीने के बीच होती है जब पहली खुराक प्रशासित होती है। दूसरी खुराक 4-6 साल की उम्र के दौरान दी जाती है।

चेचक कितने दिन में ठीक होता है?

 चेचक के फफोले तीन-चार दिनों तक रहते हैं, फिर सूखकर स्कैब बनाते हैं। सामान्य तौर पर दो-चार सप्ताह में ठीक होता है

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