Thyroid Symptoms & Home Remedies in Hindi| थायराइड के लक्षण व थायराइड के रामबाण इलाज

क्या आप जानते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायराइड Thyroid की समस्या होने की संभावना पांच से आठ गुना अधिक होती है।

थायराइड (Thyroid)  रोग हर आठ में से एक महिला को अपने जीवन में किसी न किसी बिंदु पर प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं। और आप को जनकर यह आश्चर्त्य होगा कि उन्मे से  60% तक लोग इसके बारे में जानते ही नही  हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, वात, पित्त व कफ के कारण थायरॉइड संबंधित रोग होता है। जब शरीर में वात एवं कफ दोष हो जाता है तब व्यक्ति को थायरॉइड होता है। आप थायराइड का इलाज करने के लिये आयुर्वेदिक तरीकों को आजमा सकते हैं। आयुर्वेदीय उपचार द्वारा वात और कफ दोषों को सन्तुलित किया जाता है। अच्छी बात तो यह है कि आप थायरॉइड का घरेलू उपचार भी कर सकते हैं।

मौजूदा दौर में थायराइड से तमाम लोग जूझ रहे हैं। इसकी चपेट में आने के बाद मरीज कई तरह की शारीरिक समस्याओं की चपेट में आ जाता है। थायरॉयड के कुछ लक्षण ऐसे हैं जो स्पष्ट होते हैं लेकिन आप उन्हें समझ नहीं पाते हैं। जबकि अगर आपको इस विकार के लक्षणों के बारे में पता चल जाए तो समय रहते इसकी रोकथाम कर सकते हैं। अत्यधिक थकान, बालों के झड़ने, टाइम से पीरियड न आना, टेंशन, पसीने से तर और बार-बार भूख लगना आदि कुछ लक्षण हैं जो लाइफटाइम सामान्य तौर पर महसूस किए जाते हैं। लेकिन यदि आपकी थायराइड ग्रंथि काम कर रही है तो ये लक्षण बहुत अधिक स्पष्ट होते हैं।

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थायरॉइड क्या है? (What is Thyroid in Hindi?)

थायरॉइड ग्रंथि शरीर का ही एक अंग होता है। जो गर्दन में पायी जाती है। थायरॉइड (Thyroid ) ग्रंथि को अवटु ग्रंथि के नाम से भी जाना जाता है। यह हार्मोन्स को बनाने का काम करती है जो शरीर के कार्य को करने और नियंत्रित करने में सहायक होते है।

तितली के आकार की थायरॉइड ग्रंथि गले में बीच में होती है। जिसमें २ चौड़े पंख भी दिखाई देते है। थायरॉयड एक छोटी सी तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो आपकी गर्दन के आगे वाले हिस्से में स्थित होती है. यह ग्रंथि टेट्रायोडोथायरोनिन (टी4) और ट्रीओडोथायरोनिन (टी3) बनाती है, जो दो प्राइमरी हार्मोन हैं. यह हार्मोन आपकी सेल्स को एनर्जी इस्तेमाल करने में कंट्रोल करते हैं. थायरॉयड ग्रंथि इन हार्मोनों के रिलीज के माध्यम से आपके मेटाबोलिक को कंट्रोल करती है. थायरॉयड में तब वृद्धि होता है जब थायरॉयड ग्रंथि टी4, टी3 या दोनों हार्मोन का उत्पादन ज्यादा होती है. हाइपरथायरायडिज्म आपके शरीर की मेटाबोलिक में तेजी ला सकता है, जिससे अचानक वजन घटना, तेज़ या अनियमित हार्ट रेट, पसीना आना और घबराहट या इर्रिटेशन हो सकते हैं.

थायरॉइड हार्मोन का काम (Thyroid Works in Hindi)

यह ग्रंथि ट्राइ-आयडोथाइरोनीन (टी ३) और थाइरोकैल्सिटोनीन हार्मोन को स्रावित करने का काम करती है। इसके साथ ही इसके और भी कार्य है जानते है उनके बारे में।

  • यह हार्मोन महिलाओं में दुग्धस्राव के स्तर में वृद्धि करता है।
  • ब्लड में चीनी, फोस्फोलिपिड तथा कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में सहायक।
  • पेशियों, लैंगिक, हड्डियों तथा मानसिक वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  • हृदय की गति एवं ब्लड प्रेशर को नियंत्रण करने का कार्य करता है।
  • लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण बढ़ाता है और रक्ताल्पता के रोकथाम का कार्य करता है।
  • वसा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन के मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है।

थायरॉइड रोग के प्रकार (Thyroid Types in Hindi)

Thyroid
Thyroid Symptoms

थायराइड नामक बीमारी के दो प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित है:

  1. हाइपोथायरायडिज्म (थायराइड कम होना)
  2. हाइपरथायराइडिज्म (थायराइड बढ़ना)

हाइपोथायरायडिज्म के स्टेज

  1. उप-क्लिनिकल हाइपोथायरायडिज्म – इस स्टेज में उप-क्लिनिकल हाइपोथायरायडिज्म में TSH का लेवल 3 से 5.5 mlU/L तक बढ़ जाता है. अगर थायरोक्सिन का लेवल सामान्य लेवल के अंदर हो तो यह संदर्भ उप-क्लिनिकल हाइपोथायरायडिज्म की तरफ संकेत करते हैं.
  2. हल्के हाइपोथायरायडिज्म – टीएसएच (TSH) के लेवल को 5.5 से 10 mlU/L तक बढ़ाया जा सकता है और थायरोक्सिन का लेवल कम किया जा सकता है, इससे अधिकांश मरीजों का टी4 लेवल सामान्य स्तर पर आ जाता है. टी3 का लेवल आगे नहीं गिरता है जब तक बीमारी गंभीर रूप से विकसित ना हो इसका कारण ये है कि TSH के लेवल का बढ़ना थायरॉयड को अधिक टी3 जारी करने के लिए उत्तेजित करने लगता है. इसके बेहतर परिणाम तब दिखते हैं जब टी3 का लेवल गिरने लगता है. हल्के हाइपोथायरायडिज्म आमतौर पर ऑटोइम्यून थायरायराइटिस के कारण होते हैं, जिनके लक्षण थकान, वजन बढ़ना, तरल अवरोधन आदि के रूप में देखने को मिलते हैं.
  3. मध्यम हाइपोथायरायडिज्म – किसी व्यक्ति को मध्यम हाइपोथायरायडिज्म तब होता है जब उसके टीएसएच का स्तर 10 से 20 mlU/L की सीमा के भीतर हो और जब उनका टी3 और टी4 निम्न स्तर में हो. हल्के और मध्यम हाइपोथायरायडिज्म महिलाओं में जल्दी होने की संभावना रहती है. महिलाओं के मामले में यह बहुत जरूरी होता है कि हाइपोथायरायडिज्म कि जांच करके इसको ठीक किया जाए, क्योंकि इससे महिलाओं में गर्भपात और भ्रूण मृत्यू जैसे जोखिम बढ़ जाते हैं.
  4. मैक्सिडेमा कोमा – अगर हाइपोथायरायडिज्म का समय पर ट्रीटमेंट ना किया जाए तो वह बढ़ कर मैक्सिडेमा कोमा का रूप ले सकता है. मैक्सिडेमा कोमा एक बहुत ही गंभीर स्थिति होती है, थायरॉयड हार्मोन का बहुत ही कम उत्पादन इसकी विशेषता होती है. इस स्थिति में शरीर तनाव, ठंडा मौसम और सर्जरी आदि स्थितियों का सामना करने में सक्षम नहीं होता है. मरीज इस स्थिति में सामान्य महसूस नहीं करता एवं उसे शारीरिक कमजोरी, उलझन, शरीर में सुजन इत्यादि की स्थिति का सामना करना पड़ता है.

हाइपरथायरायडिज्म थायराइड

टी 4, टी 3 या फिर दोनों हार्मोनों की ज़्यादा मात्रा अत्यधिक हाई मेटाबॉलिक का कारण हो सकती हैं. इसे हाइपरमेटाबॉलिक स्थिति कहा जाता है. इस अवस्था में, आपको हार्ट रेट में तेज़ी, हाई ब्लड प्रेशर और हाथों में झटकों का अनुभव हो सकता है. आपको पसीना ज्यादा आ सकता है और गर्मी के प्रति कम सहिष्णुता हो सकती है. हाइपरथायरायडिज्म इटेंस्टाइन की अधिक गतिशीलता, वजन घटना और महिलाओं में अनियमित मेस्ट्रूअल साइकिल उत्पन्न कर सकता है. थायरॉयड ग्रंथि अपने आप भी सूज कर गोइटर बन सकती है. आपकी आंखो में भी सूजन हो सकती हैं, जो एक्सोफ़थैल्मोस का एक लक्षण है और ग्रेव्स बीमारी से संबंधित है.

थायराइड के लक्षण (Thyroid Symptoms in Hindi)

अगर गले मे थायराइड के लक्षण पर ध्यान दिया जाये तो यह पता लगाया जा सकता है की हमें गले मे थायराइड हुआ है।थायराइड के लक्षण हिंदी में

  • चयापचय दर में वृद्धि या कमी – वजन बढ़ने या घटने की वजह से चयापचय में कमी या वृद्धि हो जाती है।
  • गले में सूजन – जब थायरॉइड होने की शुरुआत होती है तो किसी – किसी को गले में सूजन आ जाती है। यह मुख्य रूप से घेंघा रोग के लक्षणों में आता है।
  • तेज हृदय गति – थायराइड के शुरुआती लक्षण होने पर हृदय की गति तेज हो जाती है।
  • ज्यादा प्यास लगना – बार-बार प्यास लगने लगती है और गला सूखता है।
  • स्वभाव में बदलाव – थायरॉइड के मरीजों के व्यवहार में बदलाव आने लगता है कभी दुखी हो जाते है तो अचानक से कभी खुश होने लगते है।

महिलाओं में थायराइड के लक्षण (Thyroid Symptoms for Female in Hindi)

  • अनियमित मासिक धर्म – अनियमित माहवारी होने लगती है।
  • बाल झड़ना – महिलाओं में थायरॉइड होने पर बाल तेजी से झड़ते है।
  • थकान –  सुस्ती और थकान महसूस होना।
  • कमजोरी – महिलाओं को कमजोरी महसूस होने लगती है।

थायरॉइड रोग होने के कारण (Thyroid Causes in Hindi)

थायरॉइड होने के ये कारण हो सकते हैंः-

  • अधिक तनावपूर्ण जीवन जीने से थायरॉइड हार्मोन (Thyroid harmone) की सक्रियता पर असर पड़ता है।
  • आहार में आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने से थायरॉइड ग्रंथियाँ विशेष रूप से प्रभावित होती हैं।
  • यह रोग अनुवांशिक भी हो सकता है। यदि परिवार के दूसरे सदस्यों को भी यह समस्या रही हो, तो परिवार के दूसरे सदस्यों को भी हो सकती है।
  • महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड हार्मोन्स में असंतुलन देखा जाता है, क्योंकि इस समय महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव आते हैं।
  • भोजन में सोया उत्पादों का अधिक इस्तेमाल करने के कारण।

थायरॉइड होने के अन्य कारण (Other Causes of Thyroid)

इन रोगों के कारण भी थायरॉइड की बीमारी हो सकती हैः-

हाशिमोटो रोग (Hashimoto’s disease)

यह रोग थायरॉइड ग्रंथि के किसी एक भाग को निक्रिय बना देता है।

थायरॉइड ग्रंथि में सूजन (Thyroiditis)

यह थायरॉइड ग्रंथि में सूजन आने के कारण होता है। शुरुआत में इसमें थाइरॉइड हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है, और बाद में इसमें कमी आ जाती है। इस कारण हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyrodism) हो जाता है। कईं बार यह महिलाओं में गर्भावस्था के बाद देखा जाता है।

आयोडीन की कमी

आहार में आयोडिन की कमी के कारण हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyrodism) हो जाता है, इसलिए आयोडिन युक्त नमक का इस्तेमाल करना चाहिए।

ग्रेव्स रोग (Graves–disease)

ग्रेव्स रोग व्यस्क लोगों में हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyrodism) होने का मुख्य कारण है। इस रोग में शरीर की रोग प्रतिक्षा प्रणाली ऐसे एंटीबायोडिट्स (Antibodies) का उत्पादन करने लगती है जो TSH को बढ़ाती है। यह अनुवांशिक बीमारी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है।

गण्डमाला रोग (Goitre)

यह बीमारी घेंघा रोग के कारण भी हो सकती है।

विटामिन बी12 (Vitamin B12)

विटामिन बी12 के कारण भी हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyrodism) हो सकता है।

थायरॉइड रोग का घरेलू इलाज करने के उपाय (Home Remedies for Thyroid Disease in Hindi)

आप थायरॉइड को ठीक करने के लिए ये घरेलू उपचार आजमा सकते हैंः-

मुलेठी से थायरॉइड का इलाज (Mulethi: Home Remedies for Thyroid Treatment in Hindi)

मुलेठी का सेवन करें। मुलेठी में पाया जाने वाला प्रमुख घटक ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड थायरॉइड कैंसर सेल्स (Thyroid Cancer Cells) को बढ़ने से रोकता है।

अश्वगंधा चूर्ण के सेवन से थायरॉइड का इलाज (Ashwagandha Churna: Home Remedy for Thyroid in Hindi)

रात को सोते समय एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गाय के गुनगुने दूध के साथ लें। इसकी पत्तियों या जड़ को भी पानी में उबालकर पी सकते हैं। अश्वगंधा हार्मोन्स के असंतुलन को दूर करता है।

थायरॉइड का घरेलू उपचार तुलसी से (Tulsi: Home Remedies to Treat Thyroid in Hindi)

दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच ऐलोवेरा जूस मिला कर सेवन करें। इससे थायरॉइड रोग ठीक होता है।

और पढ़ेंः तुलसी के अनेक फायदे

थायरॉइड का घरेलू इलाज हरी धनिया से (Dhaniya: Home Remedy for Thyroid Treatment in Hindi)

हरी धनिया को पीसकर एक गिलास पानी में घोल कर पिएं। इससे थायरॉइड रोग से आराम मिलेगा।

त्रिफला चूर्ण से थायरॉइड से लाभ (Triphala: Home Remedies to Thyroid Treatment in Hindi)

प्रतिदिन एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। यह बहुत फायदेमंद होता है।

हल्दी और दूध से थायरॉइड की बीमारी का इलाज (Turmeric and Milk: Home Remedies for Thyroid Treatment in Hindi)

प्रतिदिन दूध में हल्दी पका कर पीने से भी थायराइड का उपचार (thyroid ka gharelu ilaj) होता है।

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