Piles ka Gharelu ilaaj | बवासीर (पाइल्स) के लक्षण और घरेलू इलाज

आजकल बहुत से लोग पाइल्स की बीमारी से पीड़ित हैं। बवासीर भी दो प्रकार की होती है एक खूनी बवासीर और एक मस्सेदार बवासीर। एक बार यह रोग ठीक हो जाने के बाद फिर से हो जाता है। इससे मलाशय के आसपास मस्से, शिराओं में सूजन, जलन, असहनीय दर्द और पेशाब से खून निकलने की समस्या होती है। इससे निजात पाने के लिए लोग दवाओं या ऑपरेशन का सहारा लेते हैं, लेकिन कुछ घरेलू नुस्खे भी इस बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं।

 बवासीर के प्रकार  | Piles or Hemorrhoids Types in Hindi 

बवासीर दो प्रकार की होती हैं, जो ये हैंः-

 खूनी बवासीर 

खूनी बवासीर में किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती है। इसमें मलत्याग करते समय खून आता है। इसमें गुदा के अन्दर मस्से हो जाते हैं। मलत्याग के समय खून मल के साथ थोड़ा-थोड़ा टपकता है, या पिचकारी के रूप में आने लगता है।

मल त्यागने के बाद मस्से अपने से ही अन्दर चले जाते हैं। गंभीर अवस्था में यह हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाते। इस तरह के बवासीर का तुरंत उपचार कराएं। 

बादी बवासीर

 बादी बवासीर में पेट की समस्या अधिक रहती है। कब्ज एवं गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन होती है। शुरुआती अवस्था में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार अस्वस्थ खान-पान और कब्ज रहने से यह फूल जाते हैं। इनमें खून जमा हो जाता है, और सूजन हो जाती है।

इसमें भी असहनीय पीड़ा होती है, और रोगी दर्द से छटपटाने लगता है। मलत्याग करते समय, और उसके बाद भी रोगी को दर्द बना रहता है। वह स्वस्थ तरह से चल-फिर नहीं पाता, और बैठने में भी तकलीफ महसूस करता है। इलाज कराने से यह समस्या ठीक हो जाती है। 

बवासीर होने के लक्षण | Piles or Hemorrhoids Symptoms in Hindi

 कई बार बवासीर यदि गंभीर अवस्था में ना पहुंचा हो तो यह 4-5 दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है, लेकिन रोग बढ़ने पर ये लक्षण देखे जा सकते हैंः-

·         गुदा के आस-पास कठोर गांठ जैसी महसूस होती है। इसमें दर्द रहता है, तथा खून भी आ सकता है।

·         शौच के बाद भी पेट साफ ना हेने का आभास होना।

·         शौच के वक्त जलन के साथ लाल चमकदार खून का आना।

·         शौच के वक्त अत्यधिक पीड़ा होना।

·         गुदा के आस-पास खुजली, एवं लालीपन, व सूजन रहना।

·         शौच के वक्त म्यूकस का आना।

·         बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना, लेकिन त्यागते समय मल न निकलना।

 बवासीर होने के कारण  | Piles or Hemorrhoids Causes in Hindi

 आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’ कहा गया है। यह वात, पित्त एवं कफ तीनों दोषों के दूषित होने से होता है। इसलिए इसे त्रिदोषज रोग कहा गया है।  जिस बवासीर में वात या कफ की प्रधानता होती है, वे अर्श शुष्क होते हैं। इसलिए मांसांकुरों में से स्राव नहीं होता है। जिस अर्श में रक्त या पित्त या रक्तपित्त की प्रधानता होती है, वे आर्द्र अर्श होते है। इसमें रक्तस्राव होता है। शुष्क अर्श में पीड़ा अधिक होती है।

कुछ लोगों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी देखा जाता है, लेकिन कुछ में अन्य कारणों से भी होता है, जो ये हैंः-

·         कुछ व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटे खड़े रहना पड़ता है, जैसे- बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस इत्यादि। इसके साथ ही जिन्हें भारी वजन उठाना पड़ता है। इन लोगों को बवासीर से पीड़ित होने की अधिक संभावना रहती है। 

·         कब्ज भी बवासीर का एक प्रमुख कारण है। कब्ज में मल सूखा एवं कठोर होता है, जिसकी वजह से व्यक्ति को मलत्याग करने में कठिनाई होती है। काफी देर तक उकड़ू बैठे रहना पड़ता है। इस कारण से वहां की रक्तवाहिनियों पर जोर पड़ता है, और वह फूलकर लटक जाती है, जिन्हें मस्सा कहा जाता है।

·         अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना।

·         शौच ठीक से ना होना।

·         फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करना।

·         महिलाओं में प्रसव के दौरान गुदा क्षेत्र पर दबाव पड़ने से बवासीर होने का खतरा रहता है।

·         आलस्य या शारीरिक गतिविधि कम करना।

·         धूम्रपान और शराब का सेवन।

Piles ka Gharelu ilaaj | Home Remedy for Piles (Hemorrhoids) Treatment in Hindi

यहां कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं जो बवासीर की समस्या से निपटने में मदद कर सकते हैं:

 एलोवेरा

एलोवेरा में छुपी है कई समस्याओं का इलाज। इसका उपयोग न केवल त्वचा को कोमल और बेदाग बनाने के लिए किया जाता है, बल्कि यह बवासीर के रोग में भी काफी राहत देता है। हालांकि बवासीर के लिए ताजा एलोवेरा जेल यानी एलोवेरा की पत्ती से तुरंत निकाले गए जेल का इस्तेमाल करना चाहिए। इस जेल को बवासीर के बाहरी हिस्से पर लगाएं। इस जेल को दिन में कम से कम 2-3 बार लगाएं।

आइस पैक

पाइल्स की बीमारी में भी आइस पैक काफी फायदेमंद माना गया है। प्रभावित क्षेत्र पर आइस पैक लगाएं। आप चाहें तो बर्फ के टुकड़े लें और उन्हें एक कपड़े में लपेटकर प्रभावित जगह पर लगाएं। रोजाना 5 से 10 मिनट ऐसा करने से बवासीर की समस्या से राहत मिलेगी।

गर्म पानी का स्नान

गर्म पानी से नहाने यानि गर्म पानी से नहाने से भी बवासीर में आराम मिलता है। इससे सूजन और खुजली कम होती है। इसके अलावा नारियल तेल से भी फायदा होता है। प्रभावित जगह पर नारियल का तेल लगाने से सूजन और खुजली कम होती है।

 नींबू का रस-

नींबू में कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो बवासीर में राहत देते हैं।

नींबू के रस में रूई डालकर प्रभावित जगह पर लगाएं, शुरुआत में आपको थोड़ी जलन महसूस होगी, लेकिन थोड़ी देर बाद आराम मिलेगा.

इसके अलावा 1 कप गर्म दूध में आधा नींबू का रस मिलाकर तुरंत पी लें. ऐसा हर 3 घंटे में करें, आपको पूरी तरह आराम मिलेगा।

आधा चम्मच नींबू का रस, अदरक का रस, पुदीने का रस और शहद मिलाएं। इसे दिन में एक बार पियें।

जतुन तेल

जैतून के तेल में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो बाहरी बवासीर को ठीक करने में सहायक होते हैं। यह सूजन वाली रक्त वाहिकाओं को ठीक करता है, जिससे सूजन कम होती है और रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। रोजाना 1 चम्मच जैतून का तेल खाएं, इसे आप सब्जी बनाकर या सलाद में मिलाकर खा सकते हैं।

बादाम तेल

बादाम का तेल बाहरी बवासीर में भी राहत देता है। शुद्ध बादाम के तेल में रूई भिगोकर प्रभावित जगह पर लगाएं। इससे त्वचा को नमी मिलेगी, जिससे त्वचा में खिंचाव से खुजली कम होगी। इस प्रक्रिया को दिन में कई बार दोहराएं।

जीरा

एक गिलास गुनगुने पानी में आधा चम्मच भुना जीरा डालकर दिन में 2-3 बार पियें। इसके अलावा आप छाछ में जीरा मिलाकर भी पी सकते हैं। पानी की जगह छाछ दिन में जितनी बार चाहें उतनी बार पिएं। 3-4 दिनों में रक्त वाहिकाओं में सूजन कम हो जाएगी और आपको बवासीर में आराम मिलेगा।

जामुन और आम की गुठली

जामुन और आम की गुठली को सुखाकर पीस लें, अब इस चूर्ण का 1 चम्मच छाछ या गुनगुने पानी के साथ लें।

किशमिश

एक मुट्ठी किशमिश को रात भर पानी में भिगो दें। अगली सुबह किशमिश को पानी में मैश कर लें, अब इसे खाली पेट खाएं। ऐसा रोजाना करें, कुछ ही दिनों में आपको आराम मिल जाएगा।

दालचीनी

एक चम्मच शहद में आधा चम्मच से भी कम दालचीनी पाउडर मिलाकर दिन में एक बार सेवन करें। आराम मिलेगा

बवासीर में रखें इन बातों का खास ख्याल

इस रोग में नहाते समय गर्म पानी का प्रयोग करें और हमेशा बैठ कर नहाएं। इसके अलावा एक सूती कपड़े से बवासीर वाली जगह को अच्छी तरह साफ कर लें।

सूजन और दर्द को कम करने के लिए आइस पैक से कुछ देर के लिए भिगो दें।

मस्सों पर होने वाली खुजली को दूर करने के लिए मस्सों पर पेट्रोलियम जेली लगाएं।

दिन में कम से कम 6-8 गिलास पानी पीने से बवासीर के दर्द में आराम मिलता है। इसके अलावा इस रोग में ज्यादा से ज्यादा आराम करें।

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