गिलोय के फायदे बुखार से लेकर पाचन तक | Health Benefits Of Giloy Juice in Hindi

 

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गिलोय के फायदे | Giloy Juice ke Fayde in Hindi, रोज पीकर बढ़ा सकते हैं इम्यूनिटी

अगर आपको लग रहा है कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को बढ़ाना असंभव है तोऐसा बिलकुल भी नहीं है। आधुनिक जीवनशैली के खानपान और रहन-सहन से हमारी इम्यूनिटी कमजोर होटी जा  रही है। लेकिन इसके बावजूद खोई हुई इम्यूनिटी को वापस भी पाया जा सकता है।

क्या ऐसा हो सकता है कि हम बारिश में भीगें लेकिन हमें जुकाम न हो। हम सर्दी में कैप लगाए बिना थोड़ी देर बाहर निकल जाएं तो भी हमें बुखार न हो। गर्मियों की दोपहर में अगर बाहर निकलना पड़े तो हमें लू न लगे। और कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से भी बचे रहें!

गिलोय के बारे में आपने सुना ही होगा और लोग इसे पिछले कुछ महीनों से कुछ ज्यादा ही इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि वो इसकी मदद से कोरोना से लड़ सकें. आप सभी इसके कई सारे फायदों के बारे में जानते होंगे और आयुर्वेद में भी इसके कई सारे चमत्कारी गुणों के बारे में बताया गया है. ये लगभग हर बीमारी का इलाज है और इससे आपकी सेहत को भी किसी तरह का नुकसान नहीं होता है

गिलोय क्या है? | What Is Giloy in Hindi?

 

गिलोय (अंग्रेज़ी:टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया) की एक बहुवर्षिय लता होती है। इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते हैं। आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है यथा अमृतागुडुचीछिन्नरुहाचक्रांगीआदि।

गिलोय की बेल बहुत तेजी से बढ़ती है। गिलोय के पत्ते पान की तरह बड़े आकार केचिकने और हरे रंग के होते हैं। अगर इसे पानी युक्त जगह पर लगाया जाए तो पत्तों का आकार बड़ा हो जाता है।

 गिलोय के फूल गर्मी के मौसम में निकलते हैं। ये छोटे गुच्छों में ही निकलते और बढ़ते हैं। गिलोय के फल मटर जैसे अण्डाकारचिकने गुच्छों में लगते हैं। पकने के बाद इनका रंग लाल हो जाता है। गिलोय के बीजों का रंग सफेद होता है। गिलोय को आसानी से घर में भी उगाया जा सकता है।

Health Benefits Of Giloy | बुखार से लेकर पाचन तक हर समस्या के लिए करें गिलोय का इस्तेमाल, जानें इसके अचूक फायदे

 

1.     मधुमेह के लिए गिलोय  | Giloy For Diabities

मधुमेय (डायबिटीज) के ऐसे मरीज जिन्हें टाइप-2 डायबिटीज (Type 2-Diabetes) की समस्या है, उन्हें गिलोय के सेवन से काफी लाभ मिल सकता है। गिलोय में काफी मात्रा में हाइपोग्लाईकैमिक एजेंट पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए अक्सर डॉक्टर गिलोय के जूस का सेवन करने की सलाह देते हैं। आप भी मार्केट से गिलोय जूस को खरीदकर इसका सेवन कर सकते हैं।

2.     इम्यूनिटी  | Immunity Booster

अगर कोई इंसान लगातार बीमार रहता है तो, इसकी वजह उसकी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता या कमजोर इम्यूनिटी भी हो सकती है।

इन समस्याओं की ओर तुरंत ही ध्यान दिया जाना चाहिए। खून को साफ करके, बैक्टीरिया को मारकर, हेल्दी कोशिकाओं को मेंटेन करके, शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़कर इम्यूनिटी को बढ़ाया जा सकता है।

ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए समय और पैसे खर्च करने की जगह, आप गिलोय के जूस का सेवन भी शुरू कर सकते हैं। गिलोय के अन्य फायदों में शामिल है,

 

·         शरीर से टॉक्सिन को निकालता है।

·         नपुंसकता की समस्या को दूर करता है।

·         मूत्रनली के संक्रमण को दूर करता है।

·         लिवर से जुड़ी बीमारियों से लड़ता है।

3.   बुखार ठीक करने में

गिलोय का सेवन करने वाले लोगों में बुखार आने की समस्या का खतरा कई गुना तक कम हो जाता है। इसके लिए गिलोय की पत्तियों को पीसकर इसकी छोटी-छोटी गोली बना लें और मरीज को सुबह-शाम इसे खाने के लिए दें। यह उनके लिए और भी फायदेमंद साबित हो सकता है जिन्हें अंग्रेजी दवाओं से एलर्जी है। दिन में दो से तीन बार इसका सेवन करने के बाद मरीज खुद ही इसके परिणाम को महसूस कर सकेगा।

4.   पीलिया के उपचार

पीलिया के बारे में यह कहा जाता है कि जिस इंसान को एक बार यह बीमारी हो जाती है अगर वह पूरी तरीके से इसका इलाज नहीं करता है तो यह बार-बार उसे अपना शिकार बनाती है। इस बीमारी में व्यक्ति का शरीर और उसकी आंखों के साथ-साथ नाखून का रंग पीला पड़ जाता है। सही समय पर इलाज न मिलने के कारण व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। वहीं, गिलोय जूस का सेवन करने के कारण पीलिया बुखार को भी ठीक करने में काफी मदद मिलती है।

2.   डायरिया से बचाए रखने में

डायरिया खासकर गर्मियों में लोगों को ज्यादा अपना शिकार बनाता है। इस बीमारी में शरीर से बहुत ज्यादा मात्रा में पानी भी निकल जाता है। मरीज को बार-बार दस्त और उल्टी शुरू हो जाते हैं और वह बहुत कमजोर महसूस करने लगता है। जबकि गिलोय की पत्तियों से तैयार किया गया जूस एनर्जी से भरपूर होता है और इसके साथ साथ-साथ यह स्टूल से जुड़ी हुई समस्याओं को ठीक करके डायरिया के उपचार में काफी मदद कर सकता है।

3.   आंखों की रोशनी बढ़ाये


जिनकी आंखों की रोशनी कम हो रही हो, उन्हें गिलोय के रस को आंवले के रस के साथ देने से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है और आंख से संबंधित रोग भी दूर होते हैं। गिलोय एक शामक औषधि है, जिसका ठीक तरह से प्रयोग शरीर में पैदा होने वाली वात, पित्त और कफ से होने वाली बीमारियों से छुटकारा दिला सकता है। 

4.   पाचन रहे दुरुस्त 

गिलोय के नियमित सेवन का एक अन्य लाभ ये भी है कि ये पाचन और पेट से संबंधित किसी भी समस्या को ठीक करता है। डाइजेशन की समस्या को दूर करने के लिए निम्नलिखित प्रकार से गिलोय का सेवन करना चाहिए।

·        गिलोय

·        अतीश या अतिविषा

·        अदरक की जड़

को समान मात्रा में लें। तीनों सामग्रियों को एक साथ उबालकर काढ़ा बना लें। रोज 20-30 ग्राम की मात्रा में इस काढ़े का सेवन करने से पेट और पाचन संबंधी सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं।

 

5.   सर्दीखांसी दूर भगाए

किसी व्यक्ति को लगातार सर्दी-खांसी-जुकाम की समस्या हो रही हो तो उन्हें गिलोय के रस का सेवन कराएं। दो चम्मच गिलोय का रस हर रोज सुबह लेने से खांसी से काफी राहत मिलती है। यह उपाय तब तक आजमाएं, जब तक खांसी पूरी तरह ठीक न हो जाए।

6.   बवासीर की दवा है गिलोय Medicine For Piles

बवासीर या पाइल्स बेहद दर्दनाक होते हैं और इनसे जितनी जल्दी छुटकारा मिले, उतना ही बेहतर है। गिलोय के इस्तेमाल से बनने वाली दवाएं हर प्रकार के बवासीर को ठीक कर सकती हैं। ध्यान सिर्फ इस बात का रखना है कि निर्देशों और परहेज का विशेष ध्यान दिया जाए।

बवासीर की दवा बनाने के लिए, धनिया के पत्ते, गिलोय और हरड़ को एक साथ बराबर मात्रा में पीस लें। इस मिश्रण की 20 ग्राम मात्रा लेकर आधा लीटर पानी में मिलाएं और उबालें। उबल जाने के बाद थोड़े से गुड़ के साथ इसका दिन में दो बार सेवन करें।

 

ध्यान दें


गिलोय के पत्तों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके डंठल का ही प्रयोग करना चाहिए। अधिक मात्रा में गिलोय का सेवन न करें, अन्यथा मुंह में छाले हो सकते हैं।

 

 

आयुर्वेद में गिलोय का क्या महत्व है? Giloy In Ayurveda

गिलोय की उत्पत्ति के संबंध में कहा जाता है किसमुद्र मंथन के समय अमृत कलश छलकने से उसकी बूंदें जहां भी गिरींवहीं गिलोय या अमृता का पौधा निकल आया। आयुर्वेद में गिलोय को बहुत उपयोगी और गुणकारी बताया गया है। इसे अमृतागुडुचीछिन्नरुहाचक्रांगीगुर्चमधुपर्जीजीवन्तिका कई नामों से जाना जाता है।

भारत के प्राचीन वैद्य आचार्य चरक (Acharya Charak) को भारतीय औषधि विज्ञान का पिता (Indian Father Of Medicine) भी कहा जाता है। आचार्य चरक ने अपने ग्रंथ चरक संहिता (Charak Samhita) में गिलोय के गुणों का खूब वर्णन किया है।

 

आचार्य चरक के अनुसार,  गिलोयवात दोष हरने वालीत्रिदोष मिटाने वालीखून को साफ करने वालीरोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने वालीबुखार / ज्वर नाशकखांसी मिटाने वाली प्राकृतिक औषधि है।

आयुर्वेद के अनुसारगिलोय का उपयोग टाइफाइडमलेरियाकालाजारडेंगूएलिफेंटिएसिस / फीलपांव या हाथीपांवविषम ज्वरउल्टीबेहोशीकफपीलियाधातु विकारयकृत निष्क्रियतातिल्ली बढ़नासिफलिसएलर्जी सहित अन्य त्वचा विकारझाइयांझुर्रियां, कुष्ठ रोग आदि के उपचार में किया जाता है।

इसके अलावाडायबिटीज के रोगियों के लिए ये शरीर में नेचुरल इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ा देती है। इसे कई डॉक्टर इंडियन कुनैन (Indian Quinine) भी कहते हैं।

 

गिलोय के जूस का नियमित सेवन करने से बुखारफ्लूडेंगूमलेरियापेट में कीड़े होने की समस्यारक्त में खराबी होनालो ब्लड प्रेशरहार्ट की बीमारियोंटीबीमूत्र रोगएलर्जीपेट के रोगडायबिटीज और स्किन की बीमारियों से राहत मिल सकती है। गिलोय से भूख भी बढ़ती है। गिलोय में ग्लूकोसाइड (Glucoside) , गिलोइन (Giloin), गिलोइनिन (Giloininand), गिलोस्टेराॅल तथा बर्बेरिन (Berberine) नामक एल्केलाइड पाये जाते हैं।

वैसे तो गिलोय की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन भारत में कड़वी गिलोय का ही उपयोग दवा बनाने में किया जाता है। गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है उसी के गुणों को ग्रहण कर लेती है। इसीलिए नीम के पेड़ पर लगने वाली गिलोय को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ऐसी गिलोय को ”नीम गिलोय (Neem Giloy)” भी कहा जाता है।


ऐसा भी कहा जाता है कि गिलोय जिस पेड़ पर उगती हैन तो उसे मरने देती है और न ही सेवन करने वाले कोशायद इसीलिए योग और आयुर्वेद के विद्वानों ने उसे अमृता कहा है।



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